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भारत और कुवैत के संबंध

Published On:

1961 में कुवैत की स्वतंत्रता के बाद से भारत और कुवैत के बीच बेहतरीन राजनीतिक, लाभदायक और कलात्मक संबंध हैं। उनके सहयोग के प्रमुख क्षेत्र हैं:

 

व्यापार और अर्थव्यवस्था

-कुवैत भारत को तेल चित्रकला के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है।

-लगभग 8.2 बिलियन डॉलर (2022-23) का द्विपक्षीय व्यापार

-भारतीय निर्यात में माल, कपड़े, रसायन, खाद्य उत्पाद शामिल हैं।

-कुवैती मुख्य रूप से तेल चित्रकला और पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है।

 

भारतीय प्रवासी

- सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय बनाते हैं

- विभिन्न क्षेत्रों में कुवैत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं

 

रणनीतिक सहयोग

- उच्च-स्तरीय पदों पर लगातार दौरे और राजनीतिक आदान-प्रदान

- रक्षा, सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी सहयोग

- फारस की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा सहयोग

 

स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा

- भारतीय चिकित्सा पेशेवर कुवैत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

- संस्थानों के बीच शैक्षिक संबंध

- कुवैत से भारत में चिकित्सा पर्यटन

 

बाधाओं में समय-समय पर होने वाले श्रम विवाद शामिल हैं जो भारतीय श्रमिकों और स्वदेशी भू-राजनीतिक तनावों को प्रभावित करते हैं। दोनों देश औपचारिक राजनीतिक साधनों के माध्यम से उद्यमों के समाधान का प्रयास करते हैं।

 

ग्लोबल वार्मिंग मुद्दे

 

मुद्दे

1. तापमान में वृद्धि और तीव्र वर्षा की घटनाएँ

2. समुद्र की स्थिति में वृद्धि से तटीय क्षेत्र खतरे में पड़ रहे हैं

3. समुद्री अम्लीकरण से समुद्री जीवन प्रणाली नष्ट हो रही है

4. ग्लेशियर और बर्फ की टोपियों का पिघलना

5. जैव विविधता का नुकसान और पारिस्थितिकी तंत्र का विस्थापन

6. खाद्य और जल सुरक्षा जोखिम

7. गर्मी बढ़ने और शिकायत फैलने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव

8. जलवायु आपदाओं से होने वाले लाभदायक नुकसान

 

परिणाम

 

तत्काल कार्रवाई

- वनों की कटाई कम करें और पुनर्वनीकरण बढ़ाएँ

- कार्बन मूल्य निर्धारण और उत्प्रवास व्यापार का साधन

- पर्यावरण अनुकूल कृषि पद्धतियाँ अपनाएँ

 

नीतिगत कार्रवाई

- अंतर्राष्ट्रीय जलवायु संधियों को मजबूत करें

- कठोर उत्प्रवास नीतियों को लागू करें

- हरित अवसंरचना में निवेश करें

- स्वच्छ प्रौद्योगिकी आवेगों को बढ़ावा दें

- जलवायु अनुसंधान और खोज का समर्थन करें

 

व्यक्तिगत व्यवहार

- सार्वजनिक परिवहन या इलेक्ट्रिक कारों का उपयोग करें

- ऊर्जा के उपयोग में कटौती करें

- पर्यावरण अनुकूल उत्पादों का चयन करें

- कम करें और साथ ही रीसाइकिल करें

- जलवायु अनुकूल को बढ़ावा दें फर्म

 

तकनीकी प्रभाव

- कार्बन कैदी और भंडारगृह

- स्मार्ट ग्रिड विकास

- ऊर्जा-कुशल उपकरण

- टिकाऊ संरचना उपकरण

- उन्नत वर्षा कवरिंग सिस्टम

 

सफलता के लिए नीतिगत परिवर्तन, तकनीकी आविष्कार और व्यक्तिगत कार्रवाई को मिलाकर सामंजस्यपूर्ण वैश्विक प्रयास की आवश्यकता होती है।

 

प्राथमिकता क्षेत्र ऋण मुद्दे

 

1. ऋण देने की चुनौतियाँ

- क्षेत्र-विशिष्ट लक्ष्यों को पूरा करने में कठिनाई

- पशुपालन और लघु व्यवसाय ऋणों में उच्च एनपीए

- ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की सीमित उपस्थिति

- अनौपचारिक व्यवसायों के लिए खतरे का आकलन करने की चुनौतियाँ

 

2. अनुपालन मुद्दे

- बैंक अनिवार्य ऋण देने के अवसरों से जूझ रहे हैं

- संसाधनों की गुणवत्ता खराब हो रही है

- कम निगरानी प्रणाली

- प्राथमिकता क्षेत्र ऋणों के वर्गीकरण में त्रुटि

 

परिणाम

 

1. संरचनात्मक विकास

- ऋण मूल्यांकन प्रवृत्तियों में सुधार

- तकनीकी जोखिम मॉडल तैयार करना

- ई-बैंकिंग वास्तुकला का विस्तार करना

- ग्रामीण उप-शाखा नेटवर्क में सुधार करना

 

2. नीति हस्तक्षेप

- क्षेत्र-विशिष्ट सर्वोत्तम प्रथाओं में सुधार

- खतरों को साझा करने के लिए तंत्र शुरू करना

- अधिक मजबूत निगरानी तंत्र तैयार करना

- पूर्ववर्ती क्षेत्र ऋण उपकरणों में व्यापार को सक्षम बनाना

 

3. तकनीकी इनपुट

- ई-ऋण प्लेटफ़ॉर्म

- स्वचालित ऋण रेटिंग

-मोबाइल बैंकिंग परिणाम

-खतरे का पता लगाने के लिए अधिक सटीक डेटा विश्लेषण

 

4. क्षमता संरचना

-बैंक के कर्मियों को चरवाहों को ऋण देने के लिए प्रशिक्षित करना

-किसी दिए गए क्षेत्र में बैंकों के बीच साहस विकसित करना

-देनदारों की वित्तीय शिक्षा में सुधार करना

-ऋण सुविधा को मजबूत करना

 

5. सहायता प्रणाली

-ऋण गारंटी योजनाओं को बढ़ाना

-वसूली तंत्र को मजबूत करना

-सरकारी योजनाओं के साथ बेहतर सहयोग

-पुनर्वित्तपोषण की सुविधा में सुधार