मनमोहन सिंह और उनकी उपलब्धियाँ
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डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका हाल ही में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया, एक भारतीय अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे और एक बहुत ही प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।
वे 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री थे और उन्हें अक्सर भारत के लाभदायक सुधारों का मास्टरमाइंड माना जाता है।
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
•लाभदायक सुधार (1991) प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए, डॉ. सिंह ने 1991 में भारत की रूढ़िवादिता को उदार बनाने के लिए व्यापक लाभप्रद सुधारों को लागू किया, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय मांगों के प्रति ग्रहणशील बन गया।
•आरटीआई अधिनियम (2005) उनके प्रशासन ने सार्वजनिक निकायों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए आरटीआई अधिनियम लागू किया।
•महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
(2005) इस अधिनियम ने पशुपालकों को 100 दिन का रोजगार प्रदान किया, जिससे पशुपालकों की गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई।
•आधार पहल (2009) ने दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली शुरू की, जिससे प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक विशिष्ट पहचान पत्र प्रदान किया गया।
प्रधानमंत्री बनने से पहले के स्थान
•आरबीआई गवर्नर (1982-1985) उन्होंने देश के वित्तीय कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया।
•मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972) उन्होंने वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए सार्वजनिक सेवा में अपना करियर शुरू किया।
•वित्त मंत्री (1991-1996) ने क्रांतिकारी सुधार पेश किए, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर हुई और वैश्विक निवेश आकर्षित हुआ।
•सिंह के उपकार ने भारत की प्रगति पर अविस्मरणीय छाप छोड़ी है, और उनकी विरासत दुनिया भर के नेताओं और अर्थशास्त्रियों को प्रेरित करती रहती है।
भारत और अमेरिका के रिश्ते
भारत और अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में एक मजबूत और बहुआयामी संबंध बनाया है। फिर उनके रिश्ते के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं
शाब्दिक वातावरण
शुरुआती तनाव:- शीत युद्ध, भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई। अमेरिका के पाकिस्तान के साथ अधिक गहरे संबंध थे। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच कुछ अनोखे दबाव पैदा हुए
शीत युद्ध के बाद के संबंध:- शीत युद्ध के बाद, भारत और अमेरिका ने निकट राजनीतिक संबंध बनाने शुरू किए। 2005 में अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौता उनकी रणनीतिक साझेदारी में एक महत्वपूर्ण मोड़ था
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
•आर्थिक विकास-:- अमेरिका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक मित्रों में से एक है, और द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है।
•रक्षा सहयोग:- दोनों देशों ने कई रणनीतिक रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जैसे कि लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) और डिस्पैच कम्पेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA)।
•तकनीकी साझेदारी:-
साइबर सुरक्षा, रक्षा और अंतरिक्ष सहित महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग, आविष्कार और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।
•सांस्कृतिक आदान-प्रदान:- अमेरिका में एक जीवित भारतीय प्रवासी है, और दोनों देशों के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान समृद्ध है।
•जलवायु सहयोग:-जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने में आपसी प्रयास सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
•क्वाड एलायंस चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (चतुर्भुज) स्वदेशी सुरक्षा सहयोग को मजबूत करता है और इंडो-पैसिफिक में चुनौतियों का समाधान करता है।
हाल के घटनाक्रम
•द्विपक्षीय यात्राएँ दोनों देशों के बीच उच्च पदों पर बैठे लोगों की यात्राएँ अक्सर होती रही हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बिडेन 2023 और 2024 में कई बार मिल चुके हैं।
व्यापार और शुल्क
•व्यापार और शुल्क विवाद का विषय बने हुए हैं, अमेरिका ने भारत के उच्च शुल्कों पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
कानूनी मुद्दे हाल ही में अमेरिकी न्यायपालिका द्वारा अपने क्षेत्र में रहने वाले भारतीय नागरिकों के संबंध में किए गए मामलों ने संबंधों को थोड़ा और मजबूत किया है।
भारत-अमेरिका संबंध काफी मजबूती से बने हुए हैं और व्यापक रूप से दोनों देशों की विदेश नीति की रीढ़ माने जाते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा
नवीकरणीय ऊर्जा एक स्थायी भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी अपनी चुनौतियाँ और परिणाम हैं।
चुनौतियाँ
•ऊर्जा भंडारण सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत रुक-रुक कर आते हैं, जिसका अर्थ है कि वे लगातार ऊर्जा का उत्पादन नहीं करते हैं।
•शक्ति और मांग को संतुलित करने के लिए प्रभावी और किफायती ऊर्जा भंडार परिणामों की मांग की जाती है
•लाभदायक और राजकोषीय दीवारें अक्षय ऊर्जा संरचना के लिए उच्च मूल लागत व्यापक त्याग के लिए एक बचाव हो सकती है।
•अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता को बेहतर बनाने के लिए निरंतर अन्वेषण और विकास की आवश्यकता है।
•नीति और विनियामक ढाँचे अक्षय ऊर्जा के समर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए परीक्षण कार्यक्रम और विनियमन आवश्यक हैं। इसमें अक्षय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित करना और स्वच्छ ऊर्जा निवेश के लिए प्रेरणा प्रदान करना शामिल है
• वैश्विक सहयोग अक्षय ऊर्जा के लिए वैश्विक संक्रमण को गति देने के लिए प्रौद्योगिकी, ज्ञान और कोष में भागीदारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है।
•पर्यावरण व्यवसाय अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के उत्पादन और निपटान का पर्यावरणीय प्रभाव हो सकता है, जैसे बैटरी के लिए दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का खनन।
परिणाम
•बैटरी प्रौद्योगिकी में प्रगति, बैटरी स्टोरहाउस प्रौद्योगिकी को बेहतर बनाने से कम उत्पादन के युग के दौरान उपयोग के लिए अक्षय स्रोतों से उत्पन्न अनावश्यक ऊर्जा को संग्रहीत करने में मदद मिल सकती है।
•राजकोषीय प्रभाव प्रशासन और संगठन अक्षय ऊर्जा प्रणालियों को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सब्सिडी, शुल्क क्रेडिट और कम ब्याज दर पर ऋण दे सकते हैं।
•अनुसंधान और विकास पर अनुसंधान और विकास व्यय अक्षय ऊर्जा से संबंधित प्रौद्योगिकियों में अधिक कुशल और कम लागत वाली परिवर्तन लाने के लिए बाध्य है।
•नीति समर्थन: अक्षय ऊर्जा पोर्टफोलियो मानकों और फीड-इन टैरिफ जैसे जांच कार्यक्रमों को लागू करने से अक्षय ऊर्जा का परित्याग हो सकता है।
•अन्य देशों के साथ जुड़ने वाले वैश्विक हुकअप अक्षय ऊर्जा की ओर बदलाव करने के लिए आकर्षक प्रथाओं, प्रौद्योगिकियों और कोषों को साझा करने में सक्षम होंगे।
•स्थायी प्रथाएँ सुनिश्चित करती हैं कि अक्षय ऊर्जा प्रणालियों को इस तरह से विकसित और प्रबंधित किया जाए कि यह पर्यावरणीय प्रभाव को कम करे।