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मणिपुर संघर्ष

Published On:

मई 2023 में शुरू हुआ मणिपुर संघर्ष मैतेई परिपक्वता बनाम कुकी-ज़ो लाइनों के जातीय दबाव के कारण है, जिसके कारण व्यापक हिंसा, निर्वासन और सैकड़ों लोग हताहत हुए हैं।

 

मुख्य कारण

- मेइती के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा

- भूमि शक्ति विवाद

- राजनीतिक प्रतिनिधित्व उद्यम

- जातीय आधार पर शाब्दिक विभाजन

 

मौजूदा प्रभाव

- 50,000 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित

- संरचना क्षति

- विघटित आवश्यक सेवाएँ

- नागरिक प्रशासन का टूटना

 

समाधान

1. तत्काल उपाय

- सुरक्षा तैनाती में वृद्धि

- बफर ज़ोन का सख्त प्रवर्तन

- राहत शिविर और परोपकारी सहायता

- इंटरनेट/डिस्पैच की बहाली

 

2. दीर्घकालिक परिणाम

- सभी समुदायों के लिए स्वदेशी सुरक्षा उपाय

- भूमि अधिकार सुधार

- समावेशी राजनीतिक संवाद

- लाभदायक विकास कार्यक्रम

- शैक्षिक एकीकरण उद्यम

- समुदायों के बीच विश्वास-संरचना उपाय

 

3. प्रशासनिक सुधार

प्राथमिक सरकार को मजबूत करें

संसाधन उपयोग प्रदर्शित करें

शिकायत निवारण प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए

पुलिस सुधार

 

प्रगति को केंद्र/राज्य सरकारों, नागरिक समाज और समुदाय के नेताओं द्वारा कार्रवाई करने के लिए अथक प्रयास के साथ जोड़ा जाना चाहिए मूल कारणों के विरुद्ध और फिर भी शांति भंग न करने के लिए

 

किसानों के मुद्दे

भारत में किसानों का विरोध प्रमुख मांगों से संबंधित असंख्य मुद्दों में बदल गया है।

 

महत्वपूर्ण मुद्दे

- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी कानूनी सुरक्षा

- ऋण से राहत

- पेंशन योजनाएँ

- निःशुल्क बिजली

- स्वामीनाथन आयोग का क्रियान्वयन

 

सिफारिशें

- पूर्व आपत्तियों में विफल रहे उत्पादकों के परिवारों के लिए मुआवज़ा

- परिवहन में व्यवधान

- लाभप्रद घाटा

- ज़बरदस्ती श्रृंखला में रुकावट

- राजनीतिक दबाव

 

समाधान

1. तत्काल आचरण

- सरकार और बागान मालिक संघों के बीच खुली बातचीत

- कानून के माध्यम से MSP उद्यमों को संबोधित करें

- अंतरिम राहत उपाय दें

- फसल बीमा पर स्पष्ट नीति

 

2. दीर्घकालिक सुधार

- पशुपालन संरचना को समकालीन बनाया गया

- सिंचाई प्रणाली में सुधार

- आय के अपरिहार्य स्रोतों का विकास

- कृषि विपणन में सुधार

- सहयोगात्मक पशुपालन को मजबूत बनाया गया

 

3. नीति परिवर्तन

- सभी में एक पशुपालन नीति

- बेहतर ऋण तक पहुँच

- प्रौद्योगिकियों का समावेश

- संपर्क का अनुरोध

- खतरे के संचालन उपकरण

 

सफलता एक प्रभावी संतुलित पर निर्भर करती है ऐसा दृष्टिकोण जिसमें बागान मालिक का कल्याण और लाभदायक स्थिरता दोनों ही सबसे आगे आते हैं।

 

न्याय प्रणाली में मुद्दे

मुद्दे

- बहुत अधिक लंबित मामले (4.9 करोड़ से अधिक लंबित मामले)

- न्यायाधीशों की कमी

- शर्मीली संरचना

- जटिल प्रक्रियाएँ

- उच्च कानूनी लागत

- कानूनों का खराब क्रियान्वयन

- गवाहों को डराना-धमकाना

 

समाधान

1. न्यायिक सुधार

- न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि

- समकालीन न्यायालय संरचना

- बर्तन-न्यायालय

- अपरिहार्य असहमति समाधान

- फास्ट-ट्रैक न्यायालय

- शाम की अदालतें

- केस ऑपरेशन सिस्टम

 

2. प्रक्रियात्मक सुधार

- कानूनी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना

- स्थगन को कम करना

- ऑनलाइन फॉर्म सिस्टम

- डिजिटल सब्सटेंसेशन हैंडलिंग

- मामलों के लिए समय सीमा

- बेहतर केस शेड्यूलिंग

 

3. प्रणालीगत परिवर्तन

- कानूनी सहायता को मजबूत करना

- पुलिस जांच में सुधार

- बेहतर सब्सटेंसेशन सुरक्षा

- नियमित आधार पर न्यायिक प्रशिक्षण

-न्यायालय के प्रदर्शन मानदंड

-प्रौद्योगिकी को उन्नत करना

- लंबित मामलों को पूरी तरह से समाप्त करना

 

4. विधायी आचरण

- पुराने कानूनों को अपडेट करना

- प्रवर्तन को मजबूत करना

- तुच्छ कार्रवाई को कम करना

- जमानत प्रक्रियाओं में सुधार करना

- अपराधी न्याय में सुधार करना अपराध के लिए निरंतर समर्थन, राजनीतिक इच्छाशक्ति और बार, अधीक्षक और परिषद के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है।